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Sunday, August 1, 2010

A Letter to My Friend

Dear Friend,


सच्ची दोस्ती का रिश्ता अल्फाजों का मोहताज नहीं होता. वोह तोह बस एक एहसास है जो नजरों ही नजरों में अपनी बात कह जाता है. पर मुझे कन्जेकतीवाइटिस और तुम्हारे भैंगे होने के कारण मुझे शब्दों का सहारा लेना पड़ रहा है.


फिल्मों में देखा-सुना था कि दोस्ती में " नो सौरी नो थैंक य़ू ". पर तुम्हारी दोस्ती ने लोगों से बस यही दो शब्द मुझे नसीब करवाए.


"सौरी"---जो मुझे लोगों को तुम्हारी करतूतों के कारण बोलना पड़ता था और "थैंक य़ू "जो लोग मुझे तुम्हारे लिए हुए क़र्ज़ और उधार के सामान उन्हें वापस लौटाने पर बोलते थे.


पर इन सब के बाद भी मैं तुम जैसा सच्चा दोस्त पाकर खुश हूँ . मैं तुम्हे बेहद पसंद करता हूँ ( नो ‘दोस्ताना ’ एंगल हिअर प्लीज़ !) क्यूंकि तुमने मुझे खुद को पसंद करना सिखाया . अगर तुम ना होते तो मुझे कभी नहीं पता चलता कि ‘माल्व्रो ’, ‘गोल्ड फ्लेक ’ और ‘क्लासिक ’ से ज्यादा पैसा वसूल विकल्प है(ये सभी सिगरेट ब्रांड्स हैं) . मेरी दुनिया तो ‘बैगपाइपर ’ और ‘हेवार्ड 5000’ तक ही सीमित होकर रह जाती अगर तुमने ‘किंगफिशर ’ और ‘थंडरवोल्ट ’ से मेरी पहचान नहीं कराई होती(ये सभी शराब के प्रोडक्ट्स हैं) !


तुमने मेरे लिए क्या क्या नहीं किया है ! अगर सबकी गिनती करवाने लग जाऊं तो इतने साल निकल जाएंगे जितने साल “क्यूंकि सास भी कभी बहू थी ” भी न टेलीकास्ट हुई होगी ! किस मुंह से तुम्हारा शुक्रीया अदा करूँ ? जो मुह मेरे पास है वो तो तुहारी वजह से अपने मम्मी -पापा से थप्पर खाते -खाते सूज गया है . इसलिए इस लेटर का सहारा ले रहा हूँ.




उम्मीद है जहाँ भी तुम रहो वहाँ के लोग सही -सलामत रहे .


तुम्हारा दोस्त


चन्दन

1 comment:

Anonymous said...

gud word chandan...