आज कल मैं नज़रबंद हो गया हूँ .घर से निकलना बंद
हो गया है . कहीं भी आ जा नहीं पा रहा हूँ .अगर घर
पे कोई आता है भी तो मुझे अन्दर कमरे में रहना
पड़ता है? जानते हैं क्यूँ ? एक सवाल के कारण !
हो गया है . कहीं भी आ जा नहीं पा रहा हूँ .अगर घर
पे कोई आता है भी तो मुझे अन्दर कमरे में रहना
पड़ता है? जानते हैं क्यूँ ? एक सवाल के कारण !
जी हाँ, एक सवाल के कारण! घबराइए नहीं सवाल ये नहीं है कि
अकबर का बाप कौन था (जैसा की KBC-4 के प्रोमो में
आजकल पूछा जा रहा है). वैसे अकबर का बाप वाकई में था
कौन? जहाँ जाओ लोगों के होठों पर बस यही सवाल होता
है-----“आज कल क्या कर रहे हो बेटा ?”
समझ में नहीं आता की क्या जवाब दूं लोगों को ?
अकबर का बाप कौन था (जैसा की KBC-4 के प्रोमो में
आजकल पूछा जा रहा है). वैसे अकबर का बाप वाकई में था
कौन? जहाँ जाओ लोगों के होठों पर बस यही सवाल होता
है-----“आज कल क्या कर रहे हो बेटा ?”
समझ में नहीं आता की क्या जवाब दूं लोगों को ?
इसलिए जब भी कोई मुझसे ये खतरनाक सवाल पूछता
है तो बस चेहरे पे एक हल्की मुस्कान लिए नज़रें
झुकाता हुआ निकल लेता हूँ . अब अगर मेरी शादी की
बात कर रहे होते तो मेरी इस हरकत पर लोग “शरमा
गया , शरमा गया . लड़का शरमा गया.” कहकर हँसते हुए आगे बढ़ जाते .
वेळ , मुस्कान तो अभी भी लोगों के चेहरे पर देखने को
मिल ही जाती है. पर ये मुस्कान कटाक्ष वाली होती है .
इग्नू के M.A. इन जर्नलिज्म कोर्स में एडमिशन होने
के बाद भी उसमे एडमिशन ना लेने के मेरे निर्णय के
बाद(क्यूंकि मैं फिल्म एंड टेलीविजन इन्स्चीतीउट ऑफ इंडिया के
स्क्रिप्ट राइटिंग वाले कोर्स में एक बार कोशिश करना चाहता था
अगले साल और अगर मैं इग्नू वाले कोर्स में एडमिशन ले लेता तो
ये संभव नहीं था.), तो ये मुस्कान और भी ज्यादा कटीली हो गयी है.
है तो बस चेहरे पे एक हल्की मुस्कान लिए नज़रें
झुकाता हुआ निकल लेता हूँ . अब अगर मेरी शादी की
बात कर रहे होते तो मेरी इस हरकत पर लोग “शरमा
गया , शरमा गया . लड़का शरमा गया.” कहकर हँसते हुए आगे बढ़ जाते .
वेळ , मुस्कान तो अभी भी लोगों के चेहरे पर देखने को
मिल ही जाती है. पर ये मुस्कान कटाक्ष वाली होती है .
इग्नू के M.A. इन जर्नलिज्म कोर्स में एडमिशन होने
के बाद भी उसमे एडमिशन ना लेने के मेरे निर्णय के
बाद(क्यूंकि मैं फिल्म एंड टेलीविजन इन्स्चीतीउट ऑफ इंडिया के
स्क्रिप्ट राइटिंग वाले कोर्स में एक बार कोशिश करना चाहता था
अगले साल और अगर मैं इग्नू वाले कोर्स में एडमिशन ले लेता तो
ये संभव नहीं था.), तो ये मुस्कान और भी ज्यादा कटीली हो गयी है.
ऐसा नहीं है की मेरे पास कोई जवाब नहीं है. पर वो जवाब
लोगों के पल्ले नहीं पड़ता .
“अब कोई कोर्स तो कर नहीं रहे हो.कम से कम कोई छोटी
जॉब ही देख लो . ऐसे बेकार खाली क्यूँ बैठे हुए हो ? कुछ कर
लो.” कुछ ऐसी राय मुझे मिला करती . पर क्या मतलब है
इस 'कुछ कर लो' और 'खाली क्यूँ बईठे हो' का?'.
अब कल ही मेरे घर के सदस्य से किसी ने पुछा की भाई चन्दन
यानी की मैं क्या कर रहा हूँ आज कल. तो उनको जवाब मिला---
'कुछ नहीं'. अरे भाई बेकार और खाली बैठे ही कौन है यहाँ ?
मुझे....मुझे लोगों से जानना है कि ‘बेकार’ और ‘खाली बैठना’
का क्या डेफिनेशन है उनका ? मैं रोज अपनी कम्युनिकेशन
और राइटिंग स्किल पर काम कर रहा हूँ. फिर एक नौवेल भी
लिख रहा हूँ.
लोगों के पल्ले नहीं पड़ता .
“अब कोई कोर्स तो कर नहीं रहे हो.कम से कम कोई छोटी
जॉब ही देख लो . ऐसे बेकार खाली क्यूँ बैठे हुए हो ? कुछ कर
लो.” कुछ ऐसी राय मुझे मिला करती . पर क्या मतलब है
इस 'कुछ कर लो' और 'खाली क्यूँ बईठे हो' का?'.
अब कल ही मेरे घर के सदस्य से किसी ने पुछा की भाई चन्दन
यानी की मैं क्या कर रहा हूँ आज कल. तो उनको जवाब मिला---
'कुछ नहीं'. अरे भाई बेकार और खाली बैठे ही कौन है यहाँ ?
मुझे....मुझे लोगों से जानना है कि ‘बेकार’ और ‘खाली बैठना’
का क्या डेफिनेशन है उनका ? मैं रोज अपनी कम्युनिकेशन
और राइटिंग स्किल पर काम कर रहा हूँ. फिर एक नौवेल भी
लिख रहा हूँ.
और जहाँ तक जॉब करने की बात है तो वो मैं कहीं -कहीं
अप्लाई भी कर ही रहा हूँ. अब मैं तो सिर्फ अप्लाई ही कर
सकता हूँ ना? और वैसे भी क्या अपने स्किल को अपग्रेड
करना, अपने सपनों को पाने की दिशा में काम करना ‘बेकार
खाली बैठना’ कहलाता है?
क्यूँ हम ये नहीं समझते हैं की The process is as important and
critical as the final result.
जॉब उसे पाने के लिए प्रयास करना;अपने स्किल्स में बढ़ोतरी करना वो
प्रोसेस है जिससे मैं अभी गुजर रहा हूँ. और ऐसा भी नहीं है की
मैं कोई पैसे वैसे नहीं कम रहा हूँ.जुलाई महीने तक मैंने एक
डेवेलपमेंट एजेंसी में बतौर रिपोर्टर और राइटर काम किया है और
उसके लिए अच्छे-खासे पैसे भी मिले मुझे.फिर क्या प्रॉब्लेम है
लोगों को? मतलब कहीं पर बंधुआ मजदूर की तरह मुफ्त में
स्लेव की तरह खटो या फिर कोई भी घटिया प्राइवेट कॉलेज से
कोई मॅहगा सा कोर्स कर लो ये लोगों को मंजूर है पर अपने
आप में इन्वेस्ट करो , अपनी कमियों को दूर करने में समय
और मेहनत लगाओ तो वो नागवार है उन्हें ! आखिर क्यूँ?
अप्लाई भी कर ही रहा हूँ. अब मैं तो सिर्फ अप्लाई ही कर
सकता हूँ ना? और वैसे भी क्या अपने स्किल को अपग्रेड
करना, अपने सपनों को पाने की दिशा में काम करना ‘बेकार
खाली बैठना’ कहलाता है?
क्यूँ हम ये नहीं समझते हैं की The process is as important and
critical as the final result.
जॉब उसे पाने के लिए प्रयास करना;अपने स्किल्स में बढ़ोतरी करना वो
प्रोसेस है जिससे मैं अभी गुजर रहा हूँ. और ऐसा भी नहीं है की
मैं कोई पैसे वैसे नहीं कम रहा हूँ.जुलाई महीने तक मैंने एक
डेवेलपमेंट एजेंसी में बतौर रिपोर्टर और राइटर काम किया है और
उसके लिए अच्छे-खासे पैसे भी मिले मुझे.फिर क्या प्रॉब्लेम है
लोगों को? मतलब कहीं पर बंधुआ मजदूर की तरह मुफ्त में
स्लेव की तरह खटो या फिर कोई भी घटिया प्राइवेट कॉलेज से
कोई मॅहगा सा कोर्स कर लो ये लोगों को मंजूर है पर अपने
आप में इन्वेस्ट करो , अपनी कमियों को दूर करने में समय
और मेहनत लगाओ तो वो नागवार है उन्हें ! आखिर क्यूँ?
The process is as important and critical as the final result.
अब जब प्रोसेस में ही कमी रहेगी तो रिजल्ट कैसे अचीव हो
पाएगा ? मैं नहीं जानता की जिस तरह और जिन चीजों में मैं
अभी टाइम खर्च कर रहा हूँ, उसका क्या फिउचर है. पता नहीं की
कभी मेरी नॉवेल छप पाएगी भी या नहीं? जिसे मैं अपनी स्किल्स
में इम्प्रूवमेंट समझ रहा हूँ वो वाकई में इम्प्रूवमेंट है या सिर्फ मेरा
भ्रम या ग़लतफहमी.मैं सिर्फ इतना जानता हूँ कि मैं समय बर्बाद
नहीं कर रहा है. पर एक-एक को पकड़ कर ये बातें कौन
समझाए ?
इसलिए काफी चिंतन करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर
पहुंचा हूँ कि अब से जो भी मुझे ये सवाल करेगा कि
“बेटा आजकल क्या कर रहे हो ?” तो मैं उनसे कहूंगा की
“अंकल बस श्री कृष्ण के कहे रास्ते पर चल रहा हूँ----
कर्म किये जा रहा हूँ फल की चिंता किये बगैर .”. क्यूँ सही
जवाब सोचा है ना ?
लेकिन इसमे एक छोटा सा लोच है.
अब कल को ही एक बुजुर्ग ने मुझे वो सवाल कर डाला .
अब उनको ‘श्री कृष्ण’ वाला जवाब देता तो थोडा रुड नहीं
लगता ? इसलिए मैंने उनसे कहा ----“कुछ नहीं दद्दू बस कल
को आपके घर मिठाई लाने की तैयारी चल रही है.”.
अब कल को ही एक बुजुर्ग ने मुझे वो सवाल कर डाला .
अब उनको ‘श्री कृष्ण’ वाला जवाब देता तो थोडा रुड नहीं
लगता ? इसलिए मैंने उनसे कहा ----“कुछ नहीं दद्दू बस कल
को आपके घर मिठाई लाने की तैयारी चल रही है.”.
“मिठाई? क्यूँ बेटा?”. उन्होंने पूछा .
“जी वो नया घर और नयी गाडी खरीदने की ख़ुशी में .” मैंने जवाब दिया .
“गाडी? घर? वो कब खरीदा ?” उन्होने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा .
“खरीदा नहीं कल को खरीदूंगा .” मैंने स्पष्ट किया .
उनके चेहरे पर प्रश्न ही प्रश्न उभर आये .
मैंने कहा, “मैं समझाता हूँ. पहले ये बताइये आप कि मिठाई क्यूँ आपके यहाँ लाने वाला हूँ?”
“घर और गाड़ी खरीदने की ख़ुशी में.” उन्होने कहा.
“करेक्ट .और गाडी और घर कब खरीदी जा सकती है?”
“अच्छी जॉब लगने पर.”
“और अच्छी जॉब कैसे लगेगी?” मैंने फिर एक सवाल दागते हुए पूछा.
“मेहनत और लगन से.” उन्होने कहा.
“बिलकुल सही. सो आजकल वही कर रहा हूँ-- मेहनत .” मैंने कन्क्लूड करते हुए कहा.
वैसे पता नहीं इस घटना का इस बात से कोई लेना देना
है की नहीं पर कल ही मैंने सुना की उनका अचानक से BP
बहुत हाई हो गया और उन्हें में भर्ती करना पड़ा .
.भगवान् उनकी रक्षा करे.
है की नहीं पर कल ही मैंने सुना की उनका अचानक से BP
बहुत हाई हो गया और उन्हें में भर्ती करना पड़ा .
.भगवान् उनकी रक्षा करे.
बहरहाल , चलो मेरी प्रॉब्लम तो सौल्व हो गयी! लेकिन
अगर यही सवाल किसी ने मेरे घरवालों से कर दिया तो
? अब वो तो नहीं कह सकते ना कि “श्री कृष्ण के कहे
रास्ते पे चलते हुए बस सिर्फ कर्म किये जा रहा है
हमारा ‘आज का अर्जुन ’.” या फिर “आपके घर कल
कोमिठाई लाने की तैयारी में जुटा है”.
अगर यही सवाल किसी ने मेरे घरवालों से कर दिया तो
? अब वो तो नहीं कह सकते ना कि “श्री कृष्ण के कहे
रास्ते पे चलते हुए बस सिर्फ कर्म किये जा रहा है
हमारा ‘आज का अर्जुन ’.” या फिर “आपके घर कल
कोमिठाई लाने की तैयारी में जुटा है”.
दशकों पहले मैंने इग्नू के डिप्लोमा इन क्रिएटिव राइटिंग
वाले कोर्स में एडमिशन लिया था जिसे आज तक मैं पूरा
नहीं कर पाया हूँ. अभी भी मेरे पास एक और साल का
टाइम बचा है पूरा करने को . हाँ ये बढियां रहेगा .
उनके ये जवाब देने पर कि मैं कोई कोर्स कर रहा
हूँ लोगों को भी चैन हो जाएंगे कि चलो लड़का ‘खाली
बेकार ’ नहीं बैठा है’ 'कुछ कर रहा है'. और मुझे हीन दृष्टि से
भी नहीं देखेंगे .
वाले कोर्स में एडमिशन लिया था जिसे आज तक मैं पूरा
नहीं कर पाया हूँ. अभी भी मेरे पास एक और साल का
टाइम बचा है पूरा करने को . हाँ ये बढियां रहेगा .
उनके ये जवाब देने पर कि मैं कोई कोर्स कर रहा
हूँ लोगों को भी चैन हो जाएंगे कि चलो लड़का ‘खाली
बेकार ’ नहीं बैठा है’ 'कुछ कर रहा है'. और मुझे हीन दृष्टि से
भी नहीं देखेंगे .
तो चलो भाई ये फाइनल हुआ . अब जब भी मुझसे ये कठिन सवाल पूछा जाएगा तो आप ये जवाब सुनने के लिए तैयार रहिएगा -----
• “बस श्री कृष्ण के कहे रास्ते पर चल रहा हूँ------ सिर्फ कर्म कर रहा हूँ फल की चिंता किये बगैर.”
• “आपके घर कल को मिठाई लाने की तैयारी में जुटा हूँ.”
• इग्नू से डिप्लोमा इन क्रिएटिव राइटिंग का कोर्स कर रहा हूँ.
अब इन तीनों में से जो जवाब पसंद हो और जो मेरे
सबसे कम बत्तिमिजी या काबिल बनने जैसी फीलिंग देता हो, वो जवाब आप सेलेक्ट कर लो .
सबसे कम बत्तिमिजी या काबिल बनने जैसी फीलिंग देता हो, वो जवाब आप सेलेक्ट कर लो .
ठीक है जी? अच्छा फिर चलता हूँ.
’कर्म’ करने का टाइम हो चला है.
मिलता हूँ फिर बाद में.
जय श्री कृष्ण!
’कर्म’ करने का टाइम हो चला है.
मिलता हूँ फिर बाद में.
जय श्री कृष्ण!
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