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Friday, April 8, 2011

आम जनता को संबोधित 'करप्शन' का एक लेटर


नमस्कार ,

अभिनन्दन  आप  सभी  का .

पता  है , पता है. आई  एम  नॉट  वेलकम  इनटू  योर

लाइव्स  . बट  आई मस्ट  डू  माई  पार्ट  एंड  एक्सटेंड

माय  कर्टसी  टू  दोज हु आई ओ   माय एग्जिस्टेंस

टू(But I must do my part and extend my courtesy to

those who I owe my existence to) --- YOU!

मैं  'करप्शन ' नामक  सोच/ वे  ऑफ़  लिविंग / (या  कुछ  भी  कह  लें  आप) का चीफ   हेड  हूँ . अभी  अभी

मुझे  मेरे  इंडिया  वाले  ब्रांच  से  ये  सूचना  मिली  है कि   वहां  पिछले  3-4 दिनों  से कुछ लोचा  चल  रहा  है .

 ये आजकल  क्या  चिल्लम -चिल्ली  मचा  रखी है  मुझे लेकर सब  जगह  , हाँ ? सोचा  था  IPL के  पूरे  मजे

'लूटूँगा ' पर  यहाँ  तो  हर  जगह ज़हर ही उगला  जा  रहा  है मेरे खिलाफ . क्या फेसबुक क्या ट्विटर? हर जगह

आग के गोले बरस रहे हैं मेरे खिलाफ---  "करप्शन मिटाओ "; "फाईट  अगेंस्ट  करप्शन"; "से  नो  टू करप्शन"

वगैरह  वगैरह !


वैसे  सच  बोलू  तो लग  रहा  है  की  ये  अन्ना  हजारे की अगुवाई  में  जो  मुहिम छिड़ी  हुई  है ,वो  अपने

मुकाम  तक  जरूर  पहुंचेगी .

एक  आमरण  अनशन  का  ये  नतीजा ! 

Impressive!

3-4 दिन  किसी  के  भूखे रहने  पे  इतना  जलजला  उठ  रहा  है ! मेरी  जानकारी  के  अनुसार  तो  इंडिया  में

हर  रोज  कड़ोड़ो लोग भूखे पेट  ही  चंदा  मामा  को  गुड -बाय  करते  हैं . आश्चर्य है किसी का ध्यान  इस  ओर

नहीं  गया ! एनीवे  , ये  अलग  मुद्दा  है. वैसे  भी  मेरे  हित में ये अच्छा  होगा  कि मैं  अपने क्लाइंट्स

---'गरीबी', 'भुखमरी  ', 'बेरोजगारी ' आदि  के अगेंस्ट  कुछ  ना  बोलू . इन्ही  के  आशीर्वाद  से  तो मैं पूरी

दुनिया में  राज  कर  रहा हूँ  ख़ास  कर भारत  में!

 बहरहाल , मैं  जानता  हूँ  की  मुझे  एक  विलेन  के रूप  में  देखा  जाता  है . पर  इस  विलेन के किरदार  को

गढ़ने  वाला  कौन ?

आप !

मैं तो  नदी  की वो  धारा  हूँ जिसे  जिस  और  मोड़ोगे  वो  उस  ओर मुड  जाऊँगा ; वो मिटटी  हूँ जिसे जिस

सांचे  में ढालोगे , ढल  जाऊँगा . सिर्फ  ये   ए. राजा  या  लालू  यादव  ही  नहीं  आज  हर  स्तर , हर तबके  व

प्रांत  में ऐसे  कई  लोग  मौजूद  हैं  जो  मेरे  पौधे  को सींच  रहे  हैं. फिर  मुझे क्यूँ  इतनी  नफरत  भरी  निगाहों

से  देखते हैं  आप  सब ? मैं तो आपके  हाथों में  एक  कठपुतली  समान  हूँ. नचाओगे , तो नाचूँगा . अगर  तोड़

-मोड़  के फेक  दोगे  तो चुपचाप  पड़ा  रहूँगा !

खैर , अनशन  वाली  बात  पर  वापिस  आते  हैं . बधाई  हो  आप  सभी  को  जो  मेरी    जडें  हिलाने  में  आप

कामयाब  हुए  कुछ  हद  तक .


पर ये  समझने  की  भूल ना करना  कि मैं  डर  गया ! हो सकता  है  कि इस

केस  में मैं 'डिलीट ' हो जाऊ  पर "shift+delete" होने  नहीं  जा  रहा  इतनी  जल्दी . जिस  तरह  एक  दिन  में

मेरा  साम्राज्य  खड़ा  नहीं हुआ , एक दिन में मेरा वजूद नहीं मिटने वाला  है .

आज  हर  एक अन्ना  हजारे  के  पीछे  मेरे पास  100 ए . राजा , 1000 सुरेश कलमाड़ी   और  10000 लालू  प्रसाद

यादव  हैं! ( एक मिनट , एक मिनट! ये मैंने  क्या  कह  दिया ? लालू तो  एक ही  हो सकता है क्यूंकि  इन

भाईसाहब  ने  तो इंसानों  के साथ  साथ मवेशियों  के चारे तक  को  नहीं  छोड़ा !).


ये  लेटर मैंने  कोई  अपनी  शेखी  बघारने  या  आपके  ज़ख्मों  पर  नमक  छिड़कने  के  लिए  नहीं  लिखा है

.यकीं  मानिए  मुझे  भी  कोई  ख़ुशी  नहीं  होती  जब  किसी  बुजुर्ग  को  अपने  हक़  का  पेंशन पाने  के  लिए

बाबुओं  के  चक्कर  काटते  हुए  देखता  हूँ . गुस्सा  मुझे भी आता  है जब एक  प्रतिभाशाली  पर संसाधनहीन

युवा  को नौकरी  के लिए घूस  न  दे  सकने  के कारण  आत्महत्या करते या  गलत  रास्ते  पर  चल  निकलते

हुए  देखता  हूँ . पर  मैं  क्या  करूँ ? कुछ  नहीं कर  सकता  मैं. मेरे  तो  सृजनकर्ता  भी आप  हो  और  मेरा

विध्वंश  भी सिर्फ  आपके हाथों ही  हो  सकता  है .


मैं  तो  बस  एक  'effect' हूँ . 'effect' को  हटाने  के  लिए  इसके  'cause' को हटाना  होगा  आप  सबों  को. 'गरीबी

', 'बेरोजगारी ', 'लालच ', 'असमानता', 'अपराध ', 'दहेज़  प्रथा ' आदि  ही  तो वो  'cause' हैं  जो  मेरी  जड़ों  को

मजबूत  किये  जा  रहे  हैं. ये  इक्के -दुक्के  अनशन -वंशन  से  हो  सकता  है  कि  मेरे  कुछ  पत्ते  या  फिर

डालें  गिर  जाएं  पर  जब  तक  मुझे  जड़  से उखाड़  कर  नहीं  फेकोगे , तब तक  मैं  यहीं  डटा  रहूँगा .

मैं भी  अब  इस  महान  देश  से हमेशा  के लिए अपना  बोरिया -बिस्तर  समेट  कर जाना  चाहता  हूँ. उम्मीद

है ये अन्ना हजारे  वाला  प्रकरण  इस  दिशा  में  कुछ  करेगा !



अभी  के  लिए  आपका ,
करप्शन .