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Friday, May 1, 2009

An epitaph of myself---'मेरी मौत पर लिखा गया एक स्मरण लेख'

गीता में कहा गया है की जहाँ अच्छाई होती है वहाँ बुराई भी होती है. यानी जहाँ जहाँ एक कृष्ण होता है वहां वहां एक कंस मामा का होना भी अवश्यम्भावी है. ऐसे ही एक कंस का प्रतिक थे चन्दन जो अब हमारे बीच नहीं रहे. चन्दन जी को अगर एक शब्द में बयान करना हो तो वो शब्द होगा 'अलग'.


चन्दन वाकई में बहुत ही अलग थे. अभी मैंने उनकी तुलना कंस से की. पर उस कंस और इस कलियुगी कंस में उतना ही अंतर है जितना की लालू जी का चुनाव से पहले कॉंग्रेस के साथ रिश्ता और चुनाव के बाद का रिश्ता. यानी की टोटल कॉन्ट्रास्ट.


चन्दन जी ओरिजिनल कंस की तरह किसी के मामा तो नहीं थे पर हाँ अपने जीवनकाल में कई लोगों को उन्होने अपनी चारसौबीसी नेचर के कारण 'मामा' जरूर बनाया. दूसरा अंतर ये है की इन्होने ओरिजिनल कंस की तरह देवकी के सात शिशुओँ का वध तो नहीं किया पर सात बच्चों के पिता बनकर ओरिजिनल कंस के कारनामों की भरपाई जरूर करने की कोशिश की.


अपने जीवनकाल में चन्दन जी नि ये सफल कोशिश की इनके किसी भी चिर-परिचित से मुस्कान ऐसे गायब हो जैसे की IPL kii KKR team के मालिक शाह रुख खान के चेहरे से हंसी और ज़िन्दगी से ख़ुशी गायब हो गयी हो.


आज चन्दन जी हमारे बीच नहीं हैं. इनके जाने से आंसुओँ की धारा बह निकली है सभी आंखों से.इसे देखते हुए 'opportunist' THIRD FRONT ने हमेशा की तरह डांस पे चांस मारा और चन्दन जी के घर के बाहर make-shift tissue paper की एक दूकान लगा कर बैठ गए हैं. भगवान् भला करे ऐसा 'मौकापरस्तों' का.
आज हर जगह recession, slowdown मंदी की चर्चा जोरों पर है. पर ये तो पिछले १०-१२ महीनों में ही ऐसा हर जगह देखने-सुनने को मिल रहा है. चन्दन जी की फेमिली तो पिछले कई सालों से cost-cutting, recession, मंदी जैसे चीजों से दो-चार होती आ रही हैं चन्दन जी की कंजूस प्रवित्ति के कारण.
पर आज चन्दन जी ने अपनी मौत से मंदी के भूत को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया ठीक उसी तरह जिस तरह IPL को साउथ-अफ्रीका का रास्ता दिखाया गया था। पर चलो मंदी के भूत से पिंड तो छुटा.
क्या हुआ की अभी इसकी beneficiary सिर्फ उनकी फेमिली हो होगी. किसी को तो अब मंदी के मार नहीं झेलनी पड़ेगी और वे अब खुल के अपनी चाहतें पूरी कर सकेंगे.


भगवान् चन्दन जी की आत्मा को शान्ति,कमला,पूजा,ऋतू,श्रेया, रितिका और जिसे भी वोह अपने जीवनकाल में चाहते थे, वो इनको मिले.

1 comment:

Kler said...

Hi Chandan , was reading your work , when i read the epitaph , i felt you are too much of a cricket fan , good imagination ...keep it going