How did you like the blog?

Thursday, April 30, 2009

A TV AD ON THE ELECTION THEME

[scene: एक मिडिल-एज आदमी(मिस्टर मेहता)अपने घर की रिपेयर, रंगाई-पुताई करवा रहा होता है।)]। (This is an ad written n conceptualised by me and is an original work)

VO1 : क्यूँ मेहता साहब किसकी सरकार बनती देख रहे हैं इस बार? इस बार आपका वोट किसे पडेगा?

VO 2(Mr। Mehta): अरे भाई किसे फुर्सत है? अभी घर में काम लगा रखा है। वोटिंग के लिए जा पाना मुश्किल है।

VO1 : अरे मेहता साहब ज्यादा से ज्यादा आधा दिन लगेगा। कुछ घंटे का समय निकाल के चल जाइयेगा वोटिंग करने।

VO 2(Mr। Mehta):कुछ घंटे? अरे यहाँ तो पांच-मिनट की फुर्सत नहीं है। अब अपने घर का काम है। लगे रहना पड़ता है। वरना थोडी सी भी ढिलाई देने का मतलब हजारों का खर्चा और। यहाँ तोह सर पर सवार होकर काम करवाना पड़ता है।

VO1 : अरे तो उतनी देर के लिए किसी और को काम देखने पर लगा दीजिये और आप वोट दे आइये।

VO 2(Mr। Mehta): क्या बात कर रहे हैं भाई? मेरा मकान है तो जवाबदेही भी मेरी ही बनती है इसके देख-रेख की।इस बात की क्या गारंटी है की दूसरा उतने ही sincerity से ये काम देखेगा जितनी sincerity से मैं देखता हूँ। ऐसे कैसे मैं किसी भी के हाथों में अपने घर को सौंप दूँ? अपने घर के मामले में मैं ऐसी लापरवाही नहीं बरत सकता।

VO 1: मेहता जी देश भी तो अपना ही है और इसके देख-रेख की भी तो जिम्मेदारी हमारी ही है। ऐसे कैसे किसी के भी हाथों हम अपने देश को सौंप सकते हैं? अगर हम नहीं सोचंगे तो और कौन सोचेगा।

BACKGROUND VOICE OVER: जब कुछ घंटों के लिए हम अपना घर किसी और के हवाले नहीं कर सकते तो कैसे अपने देश को बिना सोचे-समझे किसी के भी हवाले कर सकते हैं? वोटिंग करने जरूर जाएं तो एक अच्छे और सच्चे नेता को चुन कर अपने देश को भी सुन्दर और मजबूत नींव प्रदान करें।
DO VOTE

An election-theme based Television commercial

(scene: A marriage scene at the bridegroom's place where preparations are in full swing for the marriage due to take place in 4 days' time. A guest arrives and the father of the bridegroom welcome him. After exchange of greetings, they sit down for a quick chat.)
SFX:( sounds of marriage songs playing in the backgroud)
(This is an ad written n conceptualised by me and is an original work)
V।O।1(the guest): बेटे की शादी मुबारक हो वर्मा जी।

VO2(Mr। Verma): बहुत-बहुत शुक्रिया। आइये अन्दर बैठिये। मैं थोडा ऊपर की सजावट देख कर आता हूँ।

VO1(the guest): अरे वर्मा जी। थोडा बैठिये तो सही। इस उम्र में कितनी भाग-दौड़ करिएगा?

VO 2(Mr। Verma) : अरे भाग -दौड़ कैसी? भाई एकलौते बेटे की शादी है। कहीं कोई कसर नहीं रह जाए।
(as the above two people are talking Mr। Verma's brother--the bridegroom's uncle comes and shows the list of refreshments that is to be served to the bride's guests coming for the reception।)



VO2 ( Mr.Verma): अरे सिर्फ कोल्ड-ड्रिंक ही क्यूँ लिस्ट में इनक्लूड है? २-३ fruit juice के आइटम्स भी बढा दो. गर्मी का मौसम है भाई. देखो ये मौका बार बार नहीं आने वाला. कहीं कोई कमी या कंजूसी नहीं होनी चाहिए.)

V।O।1 (the guest): ये सब तो ठीक है वर्मा जी. पर इस बार किसे वोट देकर जीता रहे हैं आप?

VO2 (Mr। Verma): अरे क्या वोट दिया जाए? कुछ होने जाने वाला नहीं है.वैसे भी शादी के दो दिन पहले वोटिंग है. फुर्सत किसको है यहाँ? वैसे भी शादी के चक्कर में पिछले एक महीने से इतनी भाग-दौड़ की है की पूछो नहीं आप. इसलिए शादी के दस दिन बाद तक मैं घर से कहीं नहीं निकलने वाला. अब एक वोट नहीं पडेगा तो कौन सा पहाड़ टूट पडेगा? वैसे भी बेटा तो मेरा एक ही है. अब बार बार तो इसकी शादी नहीं होनी वाली. एकलौते बेटे की शादी है. इसलिए सब कुछ का ख़याल मुझे ही तो रखना है. कही थोडी सी भी चूक नहीं होनी चाहिए.

V।O.1 (the guest): वर्मा जी देश भी तो एकलौता ही है. उसका थोडा भी खयाल नहीं रखियेगा?देश की भी जिम्मेवारी तो हमारी ही बनती है.

(a background voice over: वोटिंग जरूर करे।
Don't take it as a burden. Take it as duty and do perform your duty. Our nation is our responsibility.)

Saturday, April 25, 2009

A Funny Love Application


To,


My Beauty(with or without brain, preferably without brain);


Daughter of a rich man;


Residing anywhere in Metros or Abraod(preferably abroad)




Dear Jaanu,


Sub: Applying for the job of becoming your ‘Saawariya’
यूँ तो प्यार नजरों की भाषा होती है पर मुझे conjectivitis होने और तुम्हारे भेंगे होने के कारण मुझे शब्दों का सहारा लेना पड़ रहा है.
Unlike innumerable road-side Romeos, मैं तेरे लिए चाँद -तारे तोड़ कर तेरे कदमों में रखने का दावा नही करता । ऐसा नही है की मैं चाँद -वांड तोड़ कर तुम्हारे कदमों में नही रख सकता . पर अगर चाँद तोड़ कर तेरे कदमों में रख दिया तो फ़िर इतना खर्चा कर के जो चंद्रयान -1 को चाँद पर भेजा गया है , उसका क्या होगा ? सो देश -हित में ऐसा कुछ नही करूँगा .


All I offer you is my love as मेरी सारी दौलत लालू जी के कारण डूब गई । वो क्या हुआ की मैंने लालू जी के LOK SHABHA चुनाव 2009 में CONGRESS का साथ देने par सत्ता (bet) लगाया था पर LALU जी ने सब मटिया पुलित कर दी .


However, even in this recession period, I assure you that I won’t cut corners on the budget of your Kitty parties, make-up kits and travel tours। With me, there won’t be any chance of domestic violence either as I suffer from itching problems and half the day is spent scratching and scrubbing my body.So You will be the KINGG…err…. I mean to say QUEEN.


Hope to become your Saawariya,


Yours truly(till you don’t reject me)
Saawariya

Friday, April 24, 2009

कल्चर ऑफ़ साएलेंस



कल्चर ऑफ़ साएलेंस
कल्चर--- आखिर क्या है ये शब्द सो बचपन से मैं सुनता आया हूँ. जहाँ तक मेरी समझ मुझे ले जाती है और जिंदगी ने जितना अनुभव मुझे दिया है, उस लिहाज से संस्कृति या कल्चर का अर्थ मेरे लिए यही है कि किस प्रकार हम अपनी निजी और सामजिक जिंदगी जीते हैं. जिस तरह हम खुद को प्रेजेंट करते हैं दुनिया के सामने उसी को ये दुनिया हमारी संस्कृति का नाम देती है कि भाई ये लड़का बड़ा संस्कारी मालूम पड़ता है या फिर इस लड़के को तो लगता है कि इसके माँ-बाप से कभी कोई संस्कार दिए ही नहीं, वगैरह वगैरह.कल्चर का अर्थ सिर्फ वो रिवाज या संस्कार नहीं जो हम सदियों से निभाते चले आ रहे हैं.यहाँ जिस संस्कृति कि बात मैं कर रहा हूँ वो है "कल्चर ऑफ़ साईलेंस"-- "चुप्पी कि संस्कृति".वो संस्कृति जो पिछले कुछ समय से बड़ी तेजी से मेरी जिंदगी में अपने पाँव पसारे जा रही है.असल में ये 'चुप्पी कि संस्कृति' ओने आस-पास हो रहे गलत और unethical कार्यों को देखने के बाद भी अपनी आवाज़ नहीं उठाना है.क्यूँ हम उसे चुपचाप होने देते हैं चाहे वो कितना ही गलत क्यूँ ना हो? क्यूँ हम आगे बढ़ कर उन्हें वो गलत और अनैतिक कार्य करने से रोकते नहीं हैं? माना कि लोगों कि मानसिकता बदलना आसन नहीं पर हम पहल भी तो नहीं करते उन्हें वैसा करने से रोकने कि.मैं जब भी ऐसा कुछ करने कि कोशिश करता हूँ तो यही सुनने को मिलता है -" छोडो जाने दो। तुम्हे क्या प्रॉब्लम हो रही है. जैसा वो कर रहा है करने दो उसे. तुम क्यूँ टेंशन लेते हो. तुम बस अपने आप से मतलब रखो. दूसरा जो कर रहा है उससे करने दो."अब चाहे वो कॉलेज में मेरे कुछ क्लासमेट्स द्बारा क्लास नहीं आने पर भी अपना अटेंडेंस खुद बना लेना हो या फिर पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए आये अधिकारी का वेरिफिकेशन की प्रकिरिया पूरी करने के लिए "खर्चे-पानी" की 'गुजारिश', हर जगह हर बार चुप्पी की संस्कृति अपनाने की सलाह दी जाती है. तर्क ये दिया जाता है कि जल में रह कर मगरमच्छ से बैर नहीं रखते. ये बिहार है यहाँ कुछ नहीं बदलने वाला. आखिर अकेला चना कभी भांर फोड़ सकता है भला?ये चुप्पी की संस्कृति मुझे आये दिन परेशान करती है।
I FEEL SO HELPLESS AT TIMES।पर जैसा चल रहा है उससे देख कर तो यही लगता है कि मुझे भी चाहे-अनचाहे इस चुप्पी की संस्कृति के आगे घुटने टेक देने होंगे और उसे अपनाना ही होगा. पर ये शर्मिंदगी मुझे जिंदगी भर कचोटती रहेगी कि मैंने हार कर इस 'चुप्पी की संस्कृति' को अपनाया था. नहीं ला सका मैं कोई बदलाव इस दुनिया में. इतनी हिम्मत नहीं दिखा सका कि अपने अधिकारों के लिए, सच के लिए खडा हो सकूँ.यही संस्कृति मुझे अपने समाज से अपनी पहले वाली पीढी से मिली है और शायद यही में आने वाली पीढी को दूंगा. पर मुझे हमेशा उस श्रोत का इंतज़ार रहेगा जो इस चुप्पी कि संस्कृति को तोडेगा और हमें अपने हक़ के लिए,सच के लिए खड़े होने कि हिम्मत देगा. मुझे उसका इंतज़ार रहेगा!!!!!!